Monday, May 16, 2011

परेशानी हमारी नहीं है


जिंदगी ऐसे ही चली है
और ऐसे ही चलती जाएगी
राम मरे रावण मरे या
कोई उठा ले जाए सीता
सबको चाहिए की घर जले तो जले किसी और का
वो हो न हमारा

सफ़र


ऐ सफ़र लम्बा हो जा फिर न कहूँगा दुबारा
आज सफ़र पे है वो साथ हमारे
फिर ये पल शायद आये न दुबारा.
के मंजिल कुछ और आगे कर दे
के फिर ये साथ मिले न मिले दुबारा