Sunday, April 28, 2013

हे मालिक

मेरे सपने बहुत बड़े और बहुत छोटी थी जरूरते
छोटा था जब मै....
अब सपने बहुत छोटे और जरूरते अनगिनत है मेरे
हे मालिक बच्चा ही क्यों न रहने दिया मुझे हमेशा के लिए

Friday, April 26, 2013

Aaam aadami party Ab khas ho gai..

Aaam aadami party Ab khas ho gai..
na rajaneeti karane ki kasm toot gai..
ab vo bhi neta ke jagah raj neta ho gaye...

Friday, April 19, 2013

आपने नशे में ही व्यस्थ रहे हम....

देखा नहीं कभी सोचा नहीं...
कि दोस्त कितने नशे में है...
आपने नशे में ही व्यस्थ रहे हम....

Thursday, April 18, 2013

जहाँ बचपन छूट गया है मेरा....

जाना चाहता हूँ फिर एक बार...
जहाँ बचपन छूट गया है मेरा....
वो बदपानी कि लंबी चौड़ी झील
वो भोकिमालो का खाता पानी....
भाग के जाना जंगल में टिफिन के बीच में...
धुप के पेड़ को आग दिखा के
धुप काट के लाना
वो क्लास के लड़कियों के डेस्क से
तख्ती निकल चीड़ के फल से क्रिकेट कहलाने
कि इस जवानी के आलम ने
उस बचपन के बच्चे को न जाने कहा खो दिया...
याद आता है वो बचपन कभी कभी.....

Sunday, April 14, 2013

उस रोशनदान से झाँक रहा है कोई....

उस रोशनदान से झाँक रहा है कोई....
शायद आज फिर किसी का घर छिन गया...
आज फिर शायद किसी की आँखे नाम है
फिर अपना किसी का छिन गया वहाँ.....

चंद रुपये के लिए धर्म और ईमान बदल लेते है लोग.....

किसकी सुने और किसकी माने हम
चंद रुपये के लिए धर्म और ईमान बदल लेते है लोग.....

Friday, April 12, 2013

तू भी जनता है और जनता हूँ मै भी….

तू भी जनता है और जनता हूँ मै भी….

अल्ला इश्वर मदद करता है तभी

जब इंसा इंसा के काम आये….

Allah bhi jindavaad Bahagavan bhi jindavaad...

Allah bhi jindavaad Bahagavan bhi jindavaad...
us din ka intejaar hai jab insaan honge jindavaad...........

Mile hai dost... aaj...

Mile hai dost... aaj...
Dushmano... pare ho jaao...
khair nahi hai tumhari aajjjj......

Sunday, April 7, 2013

दुनिया तो है लेन देन कि दोस्तों

दुनिया तो है लेन देन कि दोस्तों
भगवान को भी चढावे मिलते है
मन्नते पुरे करने के एवज.....

रंगसाजी छूट गई अब ग़ालिब

रंगसाजी छूट गई अब ग़ालिब

कि सारे रंग ले गए वो अपने ही साथ…….

Patange to udati hai kat ke chali jaati hai kahi aur

Patange to udati hai kat ke chali jaati hai kahi aur
dosti karani hai to dor se karo
ki kat ke bhi paas rah jaati hai....

किसी को फेकने से फुर्सत नहीं....

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किसी को खाने के लिए काफी नहीं है ग़ालिब
किसी को फेकने से फुर्सत नहीं....
एक इंसान कि इंसानियत
कबतक सोयेगी ....

Friday, April 5, 2013

Ek ped kat ke doosare ped ke chaaaow me

Ek ped kat ke
doosare ped ke chaaaow me baith jaate hai
ki fir teesare  ped kaat sake..
kitane vyavahari hai hum...