Wednesday, December 17, 2014

खुदा के बंदो ने ही खुदा के बच्चो को मारा है




खुदा के बंदो ने ही खुदा के बच्चो को मारा है 
ऐ खुदा तू है गर कही तो जमी पर आ
की देख तेरे बच्चे खेलने की उम्र मे 
गोलियां खा रहे है 
--Infinity

दुनियाँ में सबकुछ ढूंढना आसान है मुश्किल तो है अपनी गलती ढूंढना जो जीतनी जल्दी मिले इंसान के लिए उतना ही अच्छा

दुनियाँ में सबकुछ ढूंढना आसान है मुश्किल तो है अपनी गलती ढूंढना जो जीतनी जल्दी मिले इंसान के लिए उतना ही अच्छा ।।

क्या खुदा भी यू बेमौत मरता है




क्या खुदा भी यू बेमौत मरता है 
लोग कहते है की मासूम बच्चो मे खुदा बसता है....
----Infinity

Monday, December 1, 2014

पूरी रात मोटी रज़ाई मे ठंढ लगती रही ....






कल रात गुजरते हुए उस चौक पर
ठिठुरते हुए 2 बच्चो एक माँ को देखा था
पूरी रात मोटी रज़ाई मे
ठंढ लगती रही ....
.........Infinity

Sunday, November 23, 2014

बच्चा भूखा सो गया















आज उस रोटी ने खुदखुशी कर ली
मेहंगाई के कारण
और वो बच्चा फिर भूखा सो गया ....
------Infinity

Wednesday, November 19, 2014

Friday, October 17, 2014

तेरे डयने मे है इतनी ताकत क्या























तेरे डयने मे है इतनी ताकत क्या
कि पाहुच जाए तू बादलों के पार
परिंदो के पर काट देने वाले
बहुत मशहूर है यहाँ
-----iNFINITY

Wednesday, October 15, 2014

कल ही तस्वीर खिचाई थी उसने

कल ही तस्वीर खिचाई थी उसने
गाल पे गड्ढे वाली
फिर गिराने का ख्याल आया होगा...
प्यार मे खुद के किसी बेगुनाह को
---Infinity

Tuesday, October 14, 2014

किसी का सहारा खोया था, किसी ने फायदा उठाया

किसी का सहारा खोया था, किसी ने फायदा उठाया ....
यहाँ बेमतलब तो कोई सांस भी नहीं लेता...
----Infinity

Monday, October 6, 2014

ईमानदारी कोने मे बैठी देखती रही एक टक

बेईमानी बिकी हाथो हाथ बाजार मे ...
ईमानदारी कोने मे बैठी देखती रही एक टक
---Infinity

Wednesday, September 17, 2014

औकात अपनी भी

गिर के देख लेते है फिर एक बार
पता चल जाये उठाने के लिए बढ़ते हुए हाथों से
औकात अपनी भी
-----Infinity

Monday, September 8, 2014

हिचकियों से पता लगता ही होगा तुम्हें अक्सर

Jikr karata hoo hamesha tumhara
Har roj
Hichkiyon se pata lagata hi hoga tumhe aksar

जिक्र करता हू हमेशा तुम्हारा
हर रोज
हिचकियों से पता लगता ही होगा तुम्हें अक्सर

: Infinity

Tuesday, August 12, 2014

जिनका साथ छोड के चल दिये जालिम

जिनका साथ छोड के चल दिये जालिम
उसी की आस लगाए बैठे है ...
जरूरत थी जब तो न जाने कौन थे हम
जब जरूरत आयी तो हम ही हम है गालिब
-----Infinity

Wednesday, August 6, 2014

नई किताबों की खुशबू आई है कहीं से




नई किताबों की खुशबू आई है कहीं से
लगता है फिर कोई
बच्चा जिल्द चढ़ा रहा है किताबों पर
पेंसिल के छिलको की फूल बना देखा कहीं
नए टिफिन बॉक्स दिखा है घर पर
लगता है फिर एक नहीं पीढ़ी
पढ़ने की कोशिश मे है
स्कूल की घंटियो की आवाज आई कहीं से कानो मे
स्कूल बस दिखा है घर के सामने
लगता है फिर एक बार कोई बच्चा
स्कूल की खोज मे निकला है
दुनिया की रस्मों को निभाने निकला है॥
---------Infinity

Sunday, August 3, 2014

भाई बस राखी के बाड़ेले यही चाहिए कि हर के अवला मे मुझे देखोगे..... भाई वादा करदों राखी पे आज .....























इस राखी हर बहन कहे अपने भाई से की मेरी रक्षा के साथ भाई वादा करो कि किसी अकेली लड़की को गलत नजर से नहीं देखोगे उसकी भी मदद करोगे सुरक्षित घर पाहुचने मे .... मुझे पैसे नहीं चाहिए राखी के बदले मुझे कोई गिफ्ट नहीं चाहिए बस एक वादा चाहिए कि आप किसी कि अस्मत नहीं लूटोगे किसी और कि बहन को बेआबरू नहीं करोगे ॥ भाई बस राखी के बाड़ेले यही चाहिए कि हर के अवला मे मुझे देखोगे..... भाई वादा करदों राखी पे आज ..... 

Thursday, July 24, 2014

Poems And Articles By Shashu: तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात

Poems And Articles By Shashu: तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात: तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात पूरी रात आंसुओं से भिंगी रही आंखे मेरी....... ---Infinity



















गोदामो मे दबा माल समय के साथ सड़ता रहा
बाहर एक बेनसीब गरीब भूखा पेट मारता रहा ....
दुहाई देती रही सरकार अनाज के न होने की
और चूहे पार्टियां मानते रहे ....

Friday, July 18, 2014

तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात

तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात
पूरी रात आंसुओं से भिंगी रही आंखे मेरी.......
---Infinity

रोटी सिर्फ एक है और भूखे दोगुने

उसके घर मे भी
पक गई रोटी
रोटी सिर्फ एक है और भूखे दोगुने
---Infinity

पता न चला कब बारिश के पानी कब धुले गए थे आँसू....

बारिश हुई थी कल किसी की आँख गीली हुई थी
पता न चला कब बारिश के पानी कब धुले गए थे आँसू....
---Infinity

Wednesday, July 2, 2014

सब अपनी अपनी हरम मिटाते है यहाँ

















कौन किसके लिए किससे  लड़ता है यहाँ
सब अपनी अपनी हरम मिटाते है यहाँ
-----Infinity

उनकी औकात बहुत बड़ी थी














हमारे फटे थे कपड़े की औकात नहीं थी हमारी
उनकी औकात बहुत बड़ी थी
इसलिए खुद फाड़ लिया
और फटे हिस्सो से उनके शरीर के अंग
मुह चिढ़ाते रहे हमे......
----Infinity

भिंगा के अंदर तक घायल कर गई बरसात आज


















घनघोर बारिश की बौछार ने  झकझोर दिया आज
वो पुल के नीचे जीने वाला बूढ़ा कहा सोएगा आज
भिंगा के अंदर तक घायल कर गई बरसात आज
--Infinity

Saturday, June 21, 2014

ऊसके अपने ही थूक से मिटती रही उसकी भूख


 


















 रोड पे बैठे भिखारी ने आधी रोटी कुत्ते को दे दी
आर आधी बचा के रख ली रात के गुजरे के लिय
और पिज्जा हट मे बैठे इंसान को देखता रहा एक भूखा बच्चा
शीशे की दीवार के दूसरी ओर से टक टक
और ऊसके अपने ही थूक से मिटती रही उसकी भूख
और बचे हुए पिज्जे से कूड़ेदान ने भर लिया अपना पेट
------------------- Infinity

बहुत दूर निकाल गया था तू शायद

















बहुत तलाशा मैंने तुम्हें
बहुत दूर निकाल गया था तू शायद
-----Infinity

Wednesday, June 18, 2014

जहाँ मासूम काट दिये जाते है निर्ममता से


















जहाँ मासूम काट दिये जाते है निर्ममता से
वहाँ पेड़ बचाओ कहना बेमानी लगता है ........
---------------- Infinity

Friday, June 13, 2014

उसकी जान जाती रही है और भीड़ छटती रही

वहाँ भीड़ लगी थी कोई अधमरा पड़ा था शायद ...
उसकी जान जाती रही है और भीड़ छटती रही .....
--->Infinity

Thursday, June 12, 2014

नहीं तो सूरज की रोशनी मे जल गया होता चाँद

उसकी जुल्फों की छाव ने किया था एहसान
नहीं तो सूरज की रोशनी मे जल गया होता चाँद.....
......... Infinity

बचा लो मुझे कि मैं उत्तर प्रदेश हू

मैं ब्लाटकारियों और छद्म मनुस्यों का शेष हू
मैं घमंडी एहंकारी नेताओं का अवशेष हू
मुझे उठाओ कि तुम्हारा ही एक भेष हू
बचा लो मुझे कि मैं उत्तर प्रदेश हू
------ Infinity

Wednesday, June 11, 2014

ज़िंदगी की पतंग को हम देते रहे ढ़ील

ज़िंदगी की पतंग को हम देते रहे ढ़ील
और लोग काटते रहे ..

......Infinity

Wednesday, June 4, 2014

माँ के संभाले कंगन टूट गए पिता का मन बदनशीब हो गया कोई दरिंदा लूट गया कई सपनों को

माँ के संभाले कंगन टूट गए पिता का मन बदनशीब हो गया कोई दरिंदा लूट गया कई सपनों को 

माँ ने संभाल रक्खे थे कंगन अपनी शादी वाले
बेटी जब जाएगी ससुराल तो पहना कर भेजेगी
अपनी निशानी उसको
भाई ने जोड़ लिए तो कुछ पैसे
बहन को अपने औकात से विदा करने के लिए
पिता का मन रोज हो जाता था भावुक
की बेटी जब चली जाएगी ससुराल तो
तो कितना लगेगा सन्नाटा
भेजता था बेटी को स्कूल की
पढ़ लिख जाएगी
तो अपने पैरो पे मजबूत खड़ी हो पाएगी
पर नजर लग गई न जाने किसकी
उस पिता के सपनों पर
उस भाई के उम्मीद पर
और उस माँ की ममता पर
कल लाश मिली उसकी पेड़ पर लटकी हुई
किसी दरिंदे ने लूट ली थी उसकी आबरू
और लोग जला रहे थे मोमबत्तीय
और रहनुमान सेंक रहे थे अपनी रोटिया
पूरा परिवार उस बेटी का कमरे के अंदर बंद
समझ नहीं पा रहा था की क्या करे
क्या करने के लिए रहे इस धरती पे
और दरिंदा अपनी दरिंदगी को
गलती मान घूम रहा था काही मस्ती मे
रोटी रही माँ टूटते रहे पिता भीतर ही भीतर
भाई बाधवास घूम रहा था अपनी ख़यालो मे
अधमरा अधमरा सा ........

-------------------->Infinity

Tuesday, June 3, 2014

रफ्तार जिंदगी की कुछ यूं थी

रफ्तार जिंदगी की कुछ यूं थी
की सुबह का दर्द शाम को बेदर्द हो गया

Wednesday, March 5, 2014

बेपरवाही तेरी देखके जल जाते है ये आमेखास,

बेपरवाही तेरी देखके जल जाते है ये आमेखास,
कहाँ से पाई है ये बेफिक्री तूने
एकबार जिक्र करदे इनका बस
इस फिक्र मे है चाहे बेरुखी के दो शब्द ही सही
---------------------------------------------------->इंफीनिटी

Thursday, January 30, 2014

उधर मोमबत्तियां पिघली इधर मेरा दिल जलाता रहा

kisi insan ke seene me dil na tha
mera baccha bhooka mar gaya
mombattiyan jalti rahi
udhar mombatti pighalati rahi idhar mera dil jalata raha


किसी इंसान के सीने में दिल न था
मेरा बच्चा मर गया भूखा
मम्बत्तियां जलती रही चौराहों पे
उधर मोमबत्तियां पिघली इधर मेरा दिल जलाता रहा

Saturday, January 25, 2014

बेचते है अब भी कुछ बच्चे ट्राफिक सिग्नल पे तिरंगे

बेचते है अब भी कुछ बच्चे
ट्राफिक सिग्नल पे तिरंगे
पता नहीं आजादी के इतने सालो बाद भी
क्यू है भूखे नंगे...
----------> इन्फ़िनिटि

Wednesday, January 15, 2014

Death : The perfect

Only on thing in this world is perfect : Death, Rest is imperfect and incomplete that’s is why we move toward death continuously.
-------------> Infinity

Tuesday, January 14, 2014

होंठ जनता नहीं कि पेट भूखा है हमारा

होंठ जनता नहीं कि पेट भूखा है हमारा
मुस्कुरा देता है बेफिक्री में कभी कभी
और हुजूर को लगता है
कि थाली हमारी  भी भरी थी कल रात को…

------------------------> Infinity

Wednesday, January 8, 2014

कि कौन क्या है यहाँ

मौला बना दे यहा इंसान आइनों के
हर इक को दिख जाएगा
कि कौन क्या है यहाँ।
--------------Infinity