Thursday, July 24, 2014

Poems And Articles By Shashu: तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात

Poems And Articles By Shashu: तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात: तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात पूरी रात आंसुओं से भिंगी रही आंखे मेरी....... ---Infinity



















गोदामो मे दबा माल समय के साथ सड़ता रहा
बाहर एक बेनसीब गरीब भूखा पेट मारता रहा ....
दुहाई देती रही सरकार अनाज के न होने की
और चूहे पार्टियां मानते रहे ....

Friday, July 18, 2014

तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात

तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात
पूरी रात आंसुओं से भिंगी रही आंखे मेरी.......
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रोटी सिर्फ एक है और भूखे दोगुने

उसके घर मे भी
पक गई रोटी
रोटी सिर्फ एक है और भूखे दोगुने
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पता न चला कब बारिश के पानी कब धुले गए थे आँसू....

बारिश हुई थी कल किसी की आँख गीली हुई थी
पता न चला कब बारिश के पानी कब धुले गए थे आँसू....
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Wednesday, July 2, 2014

सब अपनी अपनी हरम मिटाते है यहाँ

















कौन किसके लिए किससे  लड़ता है यहाँ
सब अपनी अपनी हरम मिटाते है यहाँ
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उनकी औकात बहुत बड़ी थी














हमारे फटे थे कपड़े की औकात नहीं थी हमारी
उनकी औकात बहुत बड़ी थी
इसलिए खुद फाड़ लिया
और फटे हिस्सो से उनके शरीर के अंग
मुह चिढ़ाते रहे हमे......
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भिंगा के अंदर तक घायल कर गई बरसात आज


















घनघोर बारिश की बौछार ने  झकझोर दिया आज
वो पुल के नीचे जीने वाला बूढ़ा कहा सोएगा आज
भिंगा के अंदर तक घायल कर गई बरसात आज
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