Friday, May 15, 2015

पापा .... माँ .... पापा ...

माँ तुम तो रो लेती हो जब याद आती होगी मेरी
पापा तो रो भी नहीं पाते होंगे
माँ तुम तो खाना बनती होगी तो याद आती होगी मेरी खाने के लिए जिद्द
पापा तो याद भी नहीं कर पाते होंगे खाते समय
अपने प्लेट की अच्छी चीजें मेरे प्लेट मे डाल के लिए मन मे सोंचते होंगे
पर प्लेट तो मिलती नहीं होंगी
तुम तो बोल देती हो फोन पर सब कुछ
अपना दुख अपना सुख
पापा पुछते है मेरी तकलीफ़े सिर्फ
पूछते है कुछ भी हो तो बता देना
महीने के आखिरी मे जब पैसे खत्म हो जाते है
और मांग लेता हूँ मैं जब बजट का आखिरी हिस्सा पापा से
तो पता नहीं कैसे चलते होंगे घर
किससे मांगते होंगे उधार
माँ तुम तो सुन भी लेती हो कह भी देती हो
पापा तो सिर्फ सुन लेते है
कुछ बताते नहीं है
कितनी बुरी बात है माँ कि
तुम तो रख लेती हो अपना सर मेरे कंधो पर
पर पापा रख नहीं पाते
हमेशा क्यू मजबूत दिखाना पड़ता है उनको
तकलीफ तो उन्हे भी होती होगी न
माँ तुम तो महान हो
पर पापा तो दिख ही नहीं पते है महान
वो पूरी दुनिया कि ज़िम्मेदारी उठाय
चलते रहते है लगातार
कुछ कहते भी नहीं
तुम तो कह भी लेती हो सुन भी लेती हो
पापा कह नहीं पाते है कुछ
मजबूत रहना पड़ता है उन्हे
चलना सिखाया है माँ
और उन्होने खड़ा रहना सिखाया है माँ
पापा तो बता भी नहीं पाते है दुख अपना
माँ महान तुम भी हो महान वो भी है माँ
पर
तुम रो लेती होगी जब मेरी याद आती होगी
वो तो रो भी नहीं पते होंगे माँ ...
ख्याल रखना अपना भी और उनका भी माँ
तुमसे तो कह लेता हूँ सब
उनसे तो कह भी नहीं पता माँ
माँ ख्याल रखना अपना भी
और उनका भी ..................

---Infinity

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