Wednesday, August 31, 2016

मौत चुग के ले जाएगी खुद बखुद

इंतज़ार न करो 
जिए जाओ बेफिक्र भरपूर
मौत चुग के ले जाएगी खुद बखुद



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Tuesday, August 30, 2016

तेरे साथ की उम्मीद जोड़ देती है


हर बार
टूट के हो जाता हूँ चूर चूर बिछड़ के तुझ
से फिर से तेरे साथ की उम्मीद जोड़ देती है

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खोद दो जड़े चाहे जितनी भी हमारी


खोद दो जड़े
चाहे जितनी भी हमारी
बरगद है
कहीं और जमा लेंगे

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देश बिक रहा है





देश बिक रहा है
तुम भी अपना हिस्सा बेंच दो  हुक्मराणों
हम तो तब भी फकीर थे
रहेंगे वही
हमारे हिस्से मे तो दो गज जमीन भी नहीं
गिरेंगे कहीं मिल जाएंगे मिट्टी मे
उगे थे जहां से
तुम अपने सोने वाले पंख लगा के
उड़ जाना फूलों के बाग की ओर

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